Durga Aarti |  श्री दुर्गा जी की आरती Best 01 fruit delivered

Durga Aarti दुर्गा आरती करने से सारे दुख दर्द मिट जाते हैं। दुर्गा आरती लोगो को शेयर करने से मुहं मांग वरदान मिलता है। हर प्राण को इस सुभ आरती नू अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। Durga aarti provides us auspicious mind for our growth on the successful way.

श्री दुर्गा जी की आरती

जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥

ओम जय अंबे गौरी

मांग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।

उज्जवल से दो‌उ नैना, चन्द्रवदन नीको॥

ओम जय अंबे गौरी

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥

ओम जय अंबे गौरी

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥

ओम जय अंबे गौरी

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥

ओम जय अंबे गौरी

शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।

धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥

ओम जय अंबे गौरी

Durga Aarti

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।

मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥

ओम जय अंबे गौरी

ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।

आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥

ओम जय अंबे गौरी

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूं।

बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥

ओम जय अंबे गौरी

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

भक्‍तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥

ओम जय अंबे गौरी

भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।

मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥

ओम जय अंबे गौरी

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥

ओम जय अंबे गौरी

श्री अम्बेजी की आरती, जो को‌ई नर गावै।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥

ओम जय अंबे गौरी, ओम जय अंबे गौरी

you can also read Shiv aarti.

1 thought on “Durga Aarti |  श्री दुर्गा जी की आरती Best 01 fruit delivered”

  1. Pingback: what is the message of a doll's house

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *